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महात्मा गाँधी जी |
उसने सोचा कि यह सफाई पसंद आदमी बिना कुछ कहे थूक पोंछ कर मुझे नीचा दिखाने पर तुला हुआ है। उसने फिर थूक दिया। गांधीजी ने बिना कुछ कहे चुपचाप थूक को पोंछ दिया। अब वह व्यक्ति बार-बार ट्रेन के डिब्बे में थूकने लगा। गांधीजी चुपचाप थूक को साफ कर देते। इसी बीच स्टेशन आ गया। थूकने वाले व्यक्ति ने देखा कि प्लैटफॉर्म पर काफी भीड़ लगी हुई है और वातावरण ‘गांधीजी की जय’ के नारों से गूंज रहा है। उसने चारों ओर देखकर गांधीजी को खोजने की कोशिश की।
उसने देखा कि कुछ देर बार थूक पोंछने वाला व्यक्ति डिब्बे से नीचे उतरा तो सभी लोग ‘गांधीजी की जय’ करते हुए उन्हें घेरकर खड़े हो गए। अब तो उस व्यक्ति को यह समझने में देर न लगी कि यही व्यक्ति गांधीजी हैं। वह पूरी भीड़ के सामने उनके पैर पकड़ कर रोने लगा और उनसे माफी मांगने लगा। उस व्यक्ति को पश्चाताप करते देख गांधीजी ने उसे उठाया और बोले, ‘क्षमा की कोई बात नहीं है, मैंने अपना कर्तव्य पालन किया है। ऐसा अवसर आने पर तुम भी ऐसा ही करना।’ गांधीजी की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला, ‘जी, गांधीजी, मैं अवश्य ऐसा ही करूंगा। आज आपने मेरे जीवन को एक नई दिशा दी है।’